Tuesday, February 4, 2025

अचला- सप्तमी

अचला- सप्तमी, जिसे रथ सप्तमी, भानु सप्तमी और माघी सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है।ह माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है।ौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन सूर्य देव ने अपनी दिव्य ज्योति से पूरे ब्रह्मांड को प्रकाशित किया था।

अचला- सप्तमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त:

वर्ष, अचला-सप्तमी 4 फरवरी 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी।ूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5:23 बजे से 7:08 बजे तक है।

पूजा विधि:

1. स्नान: ्रातः काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करें। यदि यह संभव हो, तो घर पर ही स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

2. सूर्य अर्घ्य: ्नान के बाद, तांबे के लोटे में जल, लाल चंदन, तिल, गुड़, चावल और दूर्वा मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय " घृणि सूर्याय नमः" मंत्र का जाप करें।

3. पूजा: ूर्य देव की पूजा में लाल फूल, धूप, दीप आदि का उपयोग करें। आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें और सूर्य मंत्रों का जाप करें।

4. व्रत: दिन नमक और तेल का सेवन वर्जित माना गया है। केवल मीठे भोजन या फलाहार का सेवन करें।

5. दान: ्नान और पूजा के बाद, वस्त्र, तिल, गुड़, अनाज और अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करें। किसी जरूरतमंद व्यक्ति को मीठा भोजन कराएं।

महत्व:

अचला-सप्तमी के व्रत और पूजा से व्यक्ति को संतान सुख, रूप, यश और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।ान्यता है कि इस दिन व्रत करने से सभी रोगों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।अचला-सप्तमी के दिन सूर्य देव की उपासना से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है, जिससे सरकारी क्षेत्र, अधिकारी वर्ग, मान-प्रतिष्ठा, सामाजिक संपन्नता आदि में शुभ फल प्राप्त होते हैं।स प्रकार, अचला-सप्तमी का व्रत और पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

 

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