भीष्माष्टमी - हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो महाभारत के प्रमुख पात्र भीष्म पितामह की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है।ह पर्व माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है, जो आमतौर पर जनवरी-फरवरी के महीनों में आता है।
भीष्माष्टमी की तिथि:
भीष्माष्टमी 5-फरवरी-2025-बुधवार को मनाई जाएगी। अष्टमी तिथि 5 फरवरी को प्रातः 2:31 बजे से शुरू होकर 6 फरवरी को रात्रि 12:36 बजे समाप्त होगी
पौराणिक कथा:
महाभारत के अनुसार,
भीष्म पितामह को
इच्छा मृत्यु का
वरदान प्राप्त था,
जिसके कारण उन्होंने
अपनी मृत्यु का
समय स्वयं चुना। उन्होंने माघ शुक्ल अष्टमी
के दिन, जब
सूर्य उत्तरायण होते
हैं, अपने प्राण
त्यागे। हिंदू मान्यताओं के अनुसार,
उत्तरायण के दौरान
मृत्यु होने पर
आत्मा को मोक्ष
की प्राप्ति होती
है।
पूजा विधि:
1. स्नान: रात्र काल पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करें। यदि यह संभव न हो, तो घर पर ही स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
2. तर्पण: स्नान के बाद, तर्पण की प्रक्रिया करें, जिसमें तिल और जल अर्पित किया जाता है। यह क्रिया भीष्म पितामह और अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए की जाती है।
3. श्राद्ध: स दिन एकोदिष्ट श्राद्ध किया जाता है, जो विशेष रूप से उन लोगों द्वारा किया जाता है जिनके पिता जीवित नहीं हैं। हालांकि, कुछ परंपराओं में इसे सभी लोग कर सकते हैं।
4. व्रत: ई भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और शाम को संकल्प लेकर अर्घ्य प्रदान करते हैं। अर्घ्य देते समय भीष्माष्टमी मंत्र का जाप किया जाता है।
महत्व:
भीष्माष्टमी का
व्रत और पूजा
करने से पितृ
दोष से मुक्ति
मिलती है और
संतान सुख की
प्राप्ति होती है अन्यता
है कि इस
दिन व्रत रखने
से संतान प्राप्ति
की इच्छा रखने
वाले दंपतियों को
लाभ होता है।स
प्रकार, भीष्माष्टमी का पर्व
भीष्म पितामह के
त्याग, निष्ठा और धर्म
के प्रति समर्पण
को स्मरण करने
का अवसर प्रदान
करता है।
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